"शेयर बाजार में उठापटक और गिरावट के पीछे छुपे 10 आधारभूत कारण"-शेयर बाजार के उठने या गिरने के 10 प्रमुख कारण

शेयर बाजार के उठने या गिरने के 10 प्रमुख कारण

हेल्लो दोस्तों आज हम जानेगे की आखिर शेयर बाजार क्यों गिरता या उठता है और जानेंगे की शेयर बाजार के उठने या गिरने के 10 प्रमुख कारण  कोनसे है आइये जानते है अख़बार की  हर खबर जो कंपनियों से सम्बंधित होती है वह महत्व पूर्ण होती शेयर बाजार को उठाने या  गिराने में  

अक्सर अखबारों में यह खबर  छपती है कि शेयर बाजार उछला या गिरा। आख़िर शेयर बाजार क्यों गिरता या उठता है। जाहिर है, इसके बहुत से कारण होते हैं। किसी भी अन्य बाजार की तरह ही शेयर बाजार भी खरीदने और बेचने वालों की मानसिकता से प्रभावित होता है। अगर खरीदारों ब्में खरीदने की ज्यादा प्रबल इच्छा होती है, तो शेयर बाजार उठ जाता है। अगर बेचने वालों में बेचने की ज़्यादा प्रबल इच्छा होती है, तो शेयर बाजार लुढ़क जाता है। खरीदारों ज्यादा हैं या बेचने वाले ज्यादा हैं, इससे भी शेयर बाजार की दिशा पर प्रभाव पड़ता है।

यह भी पढ़े :- 

वैसे तो शेयर बाजार के उठने या गिरने के बहुत से कारण होते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण देश की अर्थव्यवस्था होती है। अगर किसी देश की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी है और उसके अच्छी बने रहने की संभावना है, तो उस देश का शेयर बाजार बहुत अच्छी स्थिति में रहता है। रहता है। दूसरी ओर, अगर देश की अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं है या उसके निकट भविष्य में अच्छी न होने की आशंका है,। तो उस देश का शेयर बाजार गिरेगा।


शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले कुछ महत्वपूर्ण कारक निम्र हैं:


1. तात्कालिक ख़बर शेयर बाजार हर दिन करवट बदलता है। वह किस तरफ करवट बदलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस दिन सकारात्मक खबरें ज्यादा हैं या नकारात्मक खबरें ज्यादा हैं। सकारात्मक खबरों के कारण शेयर बाजार उठता है, जबकि नकारात्मक प्रवरों के कारण शेयर बाजार गिरता है। उदाहरण के लिए, अगर यह खबर आती है कि भारत की जी. डी. पी. ग्रोथ 8 प्रतिशत रहेगी, तो शेयर बाजार उछल जाता है। अगर यह प्रबर आती है कि सरकार निजीकरण की दिशा में कदम उठा रही है, तो शेयर बाजार में उछाल आ जाता है। जबकि अगर इस तरह की खबरें छपती है कि सरकार टैक्स बढ़ा रही है, तो शेयर बाजार गिर जाता है।


2 संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors) भारतीय शेयर बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं। उनके खरीदारीकरने पर शेयर बाजार उछल जाता है। उनके  करने पर शेयर बाजार गिर जाता है। इसी तरह मीच्युअल फंड्स भी शेयर बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चूँकि मीच्युअल फंड बड़े पैमाने पर शेयर खरीदते-बेचते हैं, इसलिए उनके कारण भी बाजार उठता या गिरता है।


3. राजनीतिक उथल-पुथल: शेयर बाजार राजनीतिक स्थिरता को पसंद करता है, क्योंकि राजनीतिक स्थिरता के माहीत में ही कंपनियाँ प्रगति कर सकती हैं। यही वजह है कि राजनीतिक स्थिरता होने पर शेयर बाजार में तेजी रहती है। दूसरी तरफ, शेयर बाजार राजनीतिक अस्थिरता और अनिश्चितता को पसंद नहीं करता है, क्योंकि ऐसे माहौल में आर्थिक नीतियाँ सुनिश्चित नहीं होती हैं, अर्थव्यवस्था डावोंडोल होती है और कंपनियों अनिश्चय की स्थिति में होती हैं। नतीजा यह होता है कि राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में शेयर बाजार गिर जाता है।


4. विश्व के शेयर बाजार : वैश्वीकरण के इस युग में शेयर बाजार पर विश्व की अर्थव्यवस्था का भी काफी प्रभाव पड़ता है। खास तौर पर अमेरिका की अर्थव्यवस्था भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित करती है, क्योंकि सॉफ्टवेअर या सेवाओं के क्षेत्र में भारत का ज्यादातर निर्यात अमेरिका को ही होता है। यही वजह है कि नैस्डेक और डाऊ जोन्स के उठने या गिरने की वजह से भारतीय बाजार भी प्रभावित होते हैं। (पिछले दिन अमेरिकी

शेयर बाजार की स्थिति क्या थी, यह कई वेबसाइटों पर देखा जा सकता है, जैसे www.moneycontrol.com)| अमेरिकी शेयर बाजार का प्रभाव इसलिए भी पड़ता क्योंकि इन्फोसिस, विप्रो जैसी बड़ी-बड़ी भारतीय कंपनियाँ अमेरिकी शेयर बाजार में भी सूचीबद्ध हैं और अगर वहाँ उनकी कीमतें गिरती हैं, तो भारतीय शेयर बाजार में भी उनकी कीमतें आम तौर पर गिर जाती हैं।


5. क्रूड ऑइल की कीमत : कच्चे तेल या क्रूड ऑइल की कीमत का भी शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। अगर क्रूड ऑइल की कीमत बढ़ रही है, तो शेयर बाजार के गिरने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि इसका अधिकांश कंपनियों पर बुरा असर होता है। इससे उनके सामान की उत्पादन लागत बढ़ जाती है और उन्हें या तो मजबूरन अपने सामान के दाम बढ़ाने पड़ते हैं या फिर कम मुनाफे में ही संतोष करना पड़ता है।


6. मानसून : हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत की अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि-प्रधान है और मानसून इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शेयर बाजार मई-जून में एक तरह से ठहर जाता है और मानसून की भविष्यवाणियों की राह देखता है। अगर अच्छे मानसून की भविष्यवाणी होती है और मानसून भी अच्छा होता है, तो शेयर बाजार चढ़ जाता है। मानसून खराब होने पर शेयर बाजार लुड़क जाता है।


7. सरकार की नीतियाँ : सरकार की नीतियों ने भी शेयर बाजार उछलता या गिरता है। अगर सरकार ड्यूटी या टैक्स में छूट देती है, तो शेयर बाजार चढ़ जाता है। अगर सरकार का बजट कंपनियों के लिए लाभकारी होता है, तो शेयर बाजार उछल जाता है। शेयर बाजार उदारीकरण, निजीकरण (privatisation) और वैश्वीकरण (globalisation) की दिशा में उठाए गए कदमों को पसंद करता है।


7. सरकार की नीतियाँ: सरकार की नीतियों से भी शेयर बाजार उछलता या गिरता है। अगर  ड्यूटी या टैक्स में छूट देती है, तो शेयर बाजार चढ़ जाता है। अगर सरकार का बजट कंपनियों के लिए लाभक होता है, तो शेयर बाजार उछल जाता है। शेयर बाजार उदारीकरण, निजीकरण (privatisation) और वैश्वीक (globalisation) की दिशा में उठाए गए कदमों को पसंद करता है।


8. ब्रोकर्स या पत्रिकाओं की सलाह:- शेयर बाजार ब्रोकर्स या पत्रिकाओं की सलाह से भी प्रभावित होता है। अगर ज़्यादातर ब्रोकर्स शेयर बाजार के गिरने की आशंका व्यक्त करते हैं, तो बाजार में दहशत फैल जा है। नतीजा यह होता है कि बिकवाली या मुनाफावसूली का जोर बढ़ने के कारण शेयर बाजार गिर जाता है। जबकि अगर ज़्यादातर ब्रोकर्स शेयर बाजार के चढ़ने की संभावना व्यक्त करते हैं, तो ब्ररीदारी का जोर बढ़ने के कारण शेयर बाजार चढ़ जाता है।


9. महँगाई बढ़ने की दर महँगाई का अर्थव्यवस्था पर बहुत ज़्यादा प्रभाव पड़ता है। जब महँगाई बढ़त है, तो उत्पादन लागत बढ़ जाती है, माँग कम हो जाती है और कंपनी की बिक्री व मुनाफा कम हो जाता है। इस अलावा, महँगाई बढ़ने से आयात-निर्यात का संतुलन भी प्रभावित होता है। अगर महँगाई बढ़ने की दर कम है, शेयर बाजार ऊपर चढ़ता है, जबकि अगर महँगाई बढ़ने की दर ज़्यादा है, तो शेयर बाजार नीचे गिरता है।


10. ब्याज दर और टैक्स: कम ब्याज दर उद्योग जगत के लिए अच्छी होती है। कम ब्याज दर होने पर कंपनियाँ आसानी से पूँजी उगाह सकती हैं और विस्तार कर सकती हैं। अधिक व्याज दर होने पर उत्पादन की कीमत बढ़ जाती है और कंपनियों का मुनाफा कम हो जाता है। इसी तरह, टैक्स की दर कम होना भी शेयर बाजार के लिए अच्छा है। टैक्स की दर कम होने पर लोगों के पास ज्यादा पैसा होगा, जिसका वे शेयर बाजार में निवेश कर सकेंगे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ