शेयर बाजार की कहानी (Bombay stock exchange history)
हेलो ट्रेडर कैसे है आप उम्मीद है आप अच्छे होंगे आज हम जानेगे की आखिर share market ki shuruaat kab hui ट्रेडिंग की शुरुवात कैसे हुई आइये जानते है ये कहानी बहुत ही दिलचस्प है इसकी शुरुवात होती है 1875 में एसोसिएशन के रूप में स्थापना से
Bombay stock exachange History |
मुंबई शेयर बाजार का जन्म एक एसोसिएशन के रूप में सन् 1875 में हुआ था, जिसका नाम था 'नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन'। इसके पूर्व शेयरों शेयरों का सौदा शुरू हो चुका था। 1840 में शेयर दलाल एक वृक्ष के नीचे खड़े होकर शेयरों की खरीद-बिक्री करते थे। वहीं से एसोसिएशन बना बनाने की रूपरेखा आकार में आई और इसी विचार से एक ऐतिहासिक घटना साकार हुई। भारत उस दौरान ब्रिटिश शासन के अधीन था। 18 जनवरी, 1899 के दिन ब्रिटिश उच्चाधिकारी जे. एस. मेक्लिन द्वारा मुंबई के नेटिव शेयर दलालों के लिए उच्चारित किए गए शब्दों को आज भी गौरव के साथ याद किया जाता है।
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मक्लिन के सिद्धांत का तात्पर्य यह था कि मुंबई के नेटिव शेयर दलाल समाज के अभिन अंग हैं, जिनको उचित सम्मान नहीं मिलता, परंतु उनके दोषों का। ही आकलन किया जाता है। किसी अपवाद के अलावा से शेयर दलाल प्रामाणिक रहे हैं। उनको भले ही कितना भी नुकसान झेलना पड़ा हो, लेकिन उन्होंने अपने ग्राहकों की पाई-पाई चुकाई है।
भारत में पूँजी का
यह सबसे बड़ा बाजार
है। मुंबई पोस्ट ट्रस्ट एवं मुंबई म्यूनिसिपल्टी
जैसी संस्थाओं को नीचे से
ऊपर उठाने में सहायक रहा
है। वर्तमान में मुंबई के
सूजन में इस नेटिव
शेयर दलालों की उल्लेखनीय भूमिका
है। यह सिद्धांत 21वीं
सदी में भी मुंबई
के शेयर दलालों के
लिए यथार्थ रहा है। अलबत्ता
अपवाद तो हमेशा किसी-न-किसी स्वरूप
अथवा मात्रा में प्रकट होते
रहते हैं।
विश्व का पहला स्टॉक एक्सचेंज
विश्व के पहले शेयर बाजार का जन्म बेल्जियम में हुआ था, 1531 में बाजार के मुख्य विस्तार के लिए ऐसी मान्यता है। बेल्जियम् के एंटवर्ष शहर में कई ब्यापारी इकट्ठा हुए थे। में सन् वे शेयर तथा कमोडिटीज में सट्टा करते थे। विश्व का पहला संगठित स्टॉक एक्सचेंज 1602वें वर्ष में एम्सटर्डम में स्थापित हुआ।
18वीं सदी के अंत
में न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज अस्तित्व में आया, जो
आज विश्व के शक्तिशाली एक्सचेंजों
में गिना जाता है।
भारत में इस समय
के दौरान हंडी तथा बिल
ऑफ एक्सचेंजों की खरीद-बिक्री
व्यापारी जाती थी। वर्ग
की सामान्य प्रवृत्ति मानी
प्रथम शेयर मेनिया
सन् 1850 में भारत सरकार ने कंपनीज एक्ट-1850 पारित किया और शेयर ट्रेडिंग का एक नया मार्ग खुला। नया इसलिए, क्योंकि उसके पहले भी शेयरों का सौदा तो होता था, लेकिन नाममात्र के लिए। ट्रेडिंग के लिए बड़ी संख्या में शेयर उपलब्ध हुए बिना इस प्रवृत्ति को गति मिलना संभव नहीं था।
उन
दिनों में कॉमर्शियल बैंक,
चार्टर्ड बैंक, दि ओरिएंटल बैंक
एवं बैंक ऑफ बॉम्बे
जैसे मुख्य बैंक स्टॉक जैसे
कुछ शेयर ही उपलब्ध
होते थे। लोगों में
भी शेवर में निवेश
करने के लिए लगाव
नहीं था। शेयर ट्रेडिंग
प्रवृत्ति का प्रमाण भी
कम रहता था और
यह सिर्फ 6 शेयर दलालों द्वारा
चलाया जा रहा था।
उस समय न तो
ट्रेडिंग हॉल था और
न ही शेयर बाजार
का मकान। इसके लिए आवश्यक
पूँजी भी नहीं थी।
इसपे बावजूद वर्ष 1860 तक शेयर दलालों
की संख्या 60 तक पहुँच गई
थी। 1860 में एक ऐसे व्यक्ति प्रकाश में आए, जिन्होंने 'शेयर मेनिया' को जन्म दिया। उनका नाम था प्रेमचर गंगत। पहले भारतीय
शेयर दलाल थे जो
रोजी लिख सकते थे।
प्रेमचंद रॉयचंद ने कई लैंड रीक्लेमेशन सहित अनेक कंपनियों को खड़ा करने में सहायता की थी। शेयरों के सौदों की प्रवृत्ति बढ़ती गई और वैसे-वैसे शेयर दलालों की संख्या भी बढ़कर 200 से 250 1865 में अमेरिकी गृहयुद्ध का अंत त होने के परिणामस्वरूप इसके विकास के तक पहुँच गई। । इसके बाद सन् लिए भारत में आनेवाली पूँजी के प्रवाह में कमी आ गई और 'शेयर मेनिया' का भी अंत हो गया।
रातोरात शेयरों
के भाव नाटकीय ढंग
से नीचे गिर गए।
परिणामस्वरूप शेयर दलालों के
कामकाज ठप हो गए,
जिसकी वजह से शेयर
दलालों की एसोसिएशन का
विचार उनके मन में
आया और शेयर दलालों
ने एकजुट होकर 1868 व 1873 के बीच एक
गैर-औपचारिक एसोसिएशन का गठन किया।
1874 में इन दलालों ने
नियमित सौदा करने के
लिए एक स्थल की
खोज की, जो आज
'दलाल स्ट्रीट' के नाम से
प्रसिद्ध है।
3 दिसंबर, 1887 को शेयर दलालों ने इस एसोसिएशन को औपचारिक स्वरूप प्रदान किया और 'दि नेटिव एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन' का जन्म हुआ। इस तरह जुलाई 1875 में मात्र 318 व्यक्तियों ने । रुपए के प्रवेश-शुल्क के साथ शेयर बाजार, मुंबई की संस्था गठित की।
इन्होंने एक प्रस्ताव पारित
किया, जिसमें नेटिव शेयर एंड स्टॉक
ब्रोकरों के हित, दर्जा
एवं स्वरूप की रक्षा के
लिए एसोसिएशन के सदस्यों के
उपयोग के लिए एक
हॉल अथवा मकान का
निर्माण करना निश्चित हुआ।
1887 तक इस निर्णय पर
अमल नहीं किया जा
सका, परंतु एक ट्रस्ट डीड
जरूर बनी और 1887 में
इस ट्रस्ट डीड में लिखे
गए शब्द वर्तमान मुंबई
शेयर बाजार की नींव के
पत्थर बन गए। इस
तरह आज के बॉम्बे
स्टॉक एक्सचेंज (बी. एस.ई.)
के रूप में प्रसिद्ध
विराट् संस्था की स्थापना इन
लोगों के सार्थक प्रयासों
से संभव हुई। इस
प्रकार एक वृक्ष के
नीचे शुरू हुई यह
यात्रा आज आधुनिक कॉरपोरेट
स्वरूप में शा में
आगे वैश्विक मंच पर महत्त्वपूर्ण
स्थान बनाकर विकास की दिशा में
आगे बढ़ रही है।
इस संगठित स्टॉक ट्रेडिंग की शुरुआत 18वीं
सदी में ब्रिटिश ईस्ट
इंडिया कंपनी द्वारा उसकी विविध प्रवृत्तियों
और पूँजी उगाही के लिए जारी
हुए टर्म पेपर्स की
ट्रेडिंग द्वारा की गई, जिसके
साथ ही कॉमर्शियल बैंक,
मर्केंटाइल बैंक ऑफ बॉम्बे
जैसे बैंकों के शेयरों में
भी ट्रेडिंग की शुरुआत हुई।
SHARE MARKET IMPORTANT FACTS
1.Share Market की
शुरुआत कब हुई?
आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) 146 साल का गया है। 9 जुलाई 1875 में BSE की स्थापना हुई थी। यह एशिया का पहला और सबसे तेज स्टॉक एक्सचेंज है। करीब 41 साल पहले 100 के आधार अंक से शुरू हुआ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स आज 53,000 के पार पहुंच गया है।
2.विश्व
में सबसे पहले शेयर बाजार की स्थापना कहाँ हुई थी?
बॉम्बे
(अब मुंबई) के कोलाबा की दलाल स्ट्रीट पर मौजूद बीएसई एशिया का सबसे पुराना शेयर
बाजार है
3.भारत
का सबसे पुराना शेयर बाजार कौन सा है?
बॉम्बे
स्टॉक एक्सचेंज | Bombay Stock Exchange
1957 में यह देश का पहला स्टॉक एक्सचेंज बन गया जिसे सरकार
द्वारा सिक्योरिटी इज कॉन्ट्रैक्ट्स रेगुलेशन एक्ट के तहत मान्यता दी गई। इसका
मुख्यालय मुंबई, भारत
में है। यह लगभग 5000 सूचीबद्ध कंपनियों के साथ दुनिया का 9वां सबसे बड़ा शेयर
बाजार है
4.शेयर
बाजार के संस्थापक कौन थे?
अंततः, 1875 में, प्रख्यात
व्यवसायी प्रेमचंद
रॉयचंद ने आधिकारिक
तौर पर नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन की स्थापना की, जिसे बाद में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का नाम दिया गया।
5.ट्रेडिंग
का राजा कौन है?
राकेश
झुनझुनवाला (5 जुलाई
1960 - 14 अगस्त 2022) एक भारतीय अरबपति निवेशक, स्टॉक
व्यापारी और चार्टर्ड अकाउंटेंट थे।
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